#मेरी_दुनिया
जिस रोज
मेरे पिता ने
अग्नि को साक्षी मानकर
सौंपा था ,मेरा हाथ
तुम्हारे हाथों में ...
उसी रोज
तुम्हें अपनाकर
मैं चली आई थी
तुम्हारे संग
जीने को
तुम्हारी दुनिया में ....
तुम्हारा ख्वाब
मेरा ख्वाब
तुम्हारी मुस्कान
मेरी मुस्कान ..
तुम्हारी दुनिया में
भूल गई अपनी दुनिया
हां...!
मेरी भी अपनी दुनिया थी .
जिसमें मेरे ख्वाब
मेरी हसरतें थी .
मेरी अपनी पहचान थी .
तुम अपनी दुनिया में खुश थे .
मैं आपकी दुनिया में खुश थी l
महसूस किया आज मैंने
तुम मेरी मुहब्बत
मेरे हमसफर हो .
तुमने हमसफर बनकर सिर्फ
अपनी दुनिया का सफर करवाया ....
कभी ध्यान न दिया मेरी दुनिया की तरफ...
तुमने मुहब्बत की मुझसे बेइंतहा
पर कभी जीवन मेरे हिस्से का जीने न दिया .
काश! तुम भी कुछ ख्वाब मेरे जी लेते ..
जैसे मैंने जीया है तुम्हारा हर
एक ख्वाब .....
प्रियंका चौधरी
No comments:
Post a Comment