सफर में चलते हुए .
जब भी थक कर बैठते हैं .
हो जाते है उदास
सफर की मुश्किल से .
तब आता है याद
वो हमसफर
जो बीच रास्ते में जुदा हो गया हमसे .
बिना वजह के
गिना कर खामियां हमारी .
जिन खामियों पर कभी नाज था हमें .
वो ही हमसफर की जुदाई का कारण बनीं .
पलभर की उदासी
पलभर में .
जुनून बन जाती हैं .
याद आता है
जुदाई का वो मौसम
जब हम जुदा हुए
बिना कारण के .
झूठी खामियां बताकर.
बिना वजह के झगड. कर .
जुदा होते ही खाई थी कसम ..
सफर में अकेले चलकर
उससे आगे निकलने की .
वो ही कसम
आज जुनुन बनकर
उदासी छीन ले गई मुझसे .
प्रियंका चौधरी
15/5/2018
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