Sunday, August 9, 2020

सफर

सफर में चलते हुए .
जब भी थक कर बैठते हैं .
हो जाते है उदास 
सफर की मुश्किल से .
तब आता है याद 
वो हमसफर 
जो बीच रास्ते में जुदा हो गया हमसे .
बिना वजह के 
गिना कर खामियां हमारी .
जिन खामियों पर कभी नाज था हमें .
वो ही हमसफर की जुदाई का कारण बनीं .
पलभर की उदासी 
पलभर में .
जुनून बन जाती हैं .
याद आता है 
जुदाई का वो मौसम 
जब हम जुदा हुए
बिना कारण के .
झूठी खामियां बताकर.
बिना वजह के झगड. कर .
जुदा होते ही खाई थी कसम ..
सफर में अकेले चलकर 
उससे आगे निकलने की .

वो ही कसम 
आज जुनुन बनकर 
उदासी छीन ले गई मुझसे .

प्रियंका चौधरी
15/5/2018

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