Thursday, December 31, 2020

अलविदा 2020

अगस्त के महिने के
तीसरे गुरुवार की दोपहर
मूसलाधार बारिश में भीगता हुआ
वो मेरी दहलीज पर आया था ।
मुझसे विदा लेने ...
फिर आने का वादा करके।
इंतजार करना 
मैं लौटकर आऊंगा
दिसम्बर के अंतिम सप्ताह।

मैं,वो,मेरी धड़कन और बारिश
गवाह है हमारी अंतिम मुलाकात की ...
उसके वादें की.....
सदी के सोलहवें वर्ष, 
अगस्त के तीसरे गुरुवार की दोपहर ...
किया जो वादा उसने, मुझसे
 दिसम्बर के अंत में लौट आने का,
तब से इंतजार जारी है मेरा,
दिसम्बर के अंतिम सप्ताह का।

आज फिर उसका वादा झूठा निकला ।
मैं खड़ी हूं,
घर की छत पर,
इक्कीसवीं सदी के बीसवें वर्ष की
अंतिम संध्या को...
डूबता सूरज देख रही हूं
दिसम्बर की अंतिम तारीख का 

सूरज के साथ ही डूब रहा मेरा इंतजार
जो शुरू हुआ था
सदी के सोलहवें वर्ष की 
अगस्त के तीसरे गुरुवार को
जो चलता रहा 
सदी के बीसवें वर्ष के
दिसम्बर के अंतिम गुरुवार तक ।



प्रियंका चौधरी 
31दिसम्बर 2020

Wednesday, December 23, 2020

लम्बी रात

इक्कीस दिसम्बर की रात 
साल की सबसे बड़ी 
रात है,
ये भूगोल कहता है ।
इश्क की रातें ,
तुम्हारी इक्कीस की,
रात  से कहीं बड़ी होती है ।
भूगोल कह रहा है
आज 
दस घण्टे अठारह मिनट का दिन 
तेरह घण्टे बयालीस मिनट की रात होगी ।
आज साल की सबसे बड़ी रात होगी ।
शिशिर ऋतु के स्वागत के साथ 
सूर्य उत्तरायण होगा ।
तुम्हारे
भूगोल‌ से अलग,
इश्क का भूगोल‌ है।
जहां सूर्य उत्तरायण ,
दक्षिणायन से दूर ।
टिका होता है इंतजार पर ।

जहां रातें हमेशा लम्बी ,
दिन के उजाले में ‌
सूर्य ,चन्द्रमा लगता है ‌।

इश्क में डूबा आशिक 
सूर्य को मानकर चन्द्रमा
देखता है महबूब का चेहरा ।
इश्क का भूगोल
तुम्हारे भूगोल से अलग होता  है।

प्रियंका_चौधरी
21/12/2020

Friday, December 11, 2020

भाषा

मुझे आती है
सिर्फ 
इश्क और इंकलाब की भाषा ।
तुम मुझसे
इश्क में बात करो 
या 
इंकलाब में ।
मुझे नहीं आती 
नफरत के ढे़र पर बैठकर 
जाति, धर्म की बातें करना ।
मुझे आती है 
इश्क या इंकलाब की भाषा ।

प्रियंका चौधरी

11/12/2020

इज्जत