जिंदाबाद जिन्दगी
मेरा साहित्यिक संसार
Labels
आलेख
(5)
कविता
(33)
मेरा परिचय
(1)
Friday, December 11, 2020
भाषा
मुझे आती है
सिर्फ
इश्क और इंकलाब की भाषा ।
तुम मुझसे
इश्क में बात करो
या
इंकलाब में ।
मुझे नहीं आती
नफरत के ढे़र पर बैठकर
जाति, धर्म की बातें करना ।
मुझे आती है
इश्क या इंकलाब की भाषा ।
प्रियंका चौधरी
11/12/2020
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
इज्जत
रोना
रोना किसी सुख दुःख का पर्याय नहीं है। ना ही रोना किसी कायरता और भावुकता का प्रतीक रोना एक प्राकृतिक घटना है । ✍️ प्रियंका चौधरी
31दिसम्बर
अगस्त के महिने के तीसरे गुरुवार की दोपहर मूसलाधार बारिश में भीगता हुआ वो मेरी दहलीज पर आया था । मुझसे विदा लेने ... फिर आने का वादा करके। इं...
No comments:
Post a Comment