Saturday, November 13, 2021

इज्जत

दौड़

समाज 
दौड़ रहा है 
विज्ञान कह रही है ।
समाज चल रहा है
समाजशास्त्र कह रहा है ।
मैं 
कहती हूं 
समाज ना तो दौड़ रहा है 
ना ही चल रहा है ।
समाज अपंग हो चुका है
और रेंग रहा है ,
एक टांग के साहरे
जहां प्रेम की खातिर ‌
अपने प्रेमी संग ,
जाने वाली लड़कियां
भागती हुई नजर आती है ।

प्रियंका चौधरी

14-11-2021

Thursday, October 7, 2021

सवाल

जीवन के 
अंतिम समय में
पुछी गई 
आखिरी इच्छा 
इतिहास 
गवाह है 
कभी नहीं पुछा गया 
आखिरी सवाल 
जीवन यात्रा 
के अंतिम पड़ाव पर
इच्छा से 
महत्वपूर्ण होता है
अंतिम सवाल ।

Monday, October 4, 2021

रोना

रोना 
किसी 
सुख 
दुःख 
का पर्याय नहीं है।
ना ही रोना 
किसी कायरता 
और 
भावुकता का प्रतीक
रोना एक प्राकृतिक घटना है ।

✍️ प्रियंका चौधरी

Wednesday, August 25, 2021

इज्जत

मैं 
जिन्दा हूं 
ऐसे समाज में
जहां 
औरत की ऊंची आवाज से ,
लग जाती है ,हर की इज्ज़त दांव पर ।

वहीं
मर्द 
बक सकता है 
चौराहे पर खड़ा होकर
मां , बहिन के नाम की गालियां ।

प्रियंका चौधरी परलीका


21/08/2021

Saturday, March 20, 2021

विश्व काव्य दिवस

वर्तमान जब इतिहास बनेगा ।
इतिहासकार को नहीं भटकना होगा ।
इतिहास को लिखने के लिए 
वर्तमान परिस्थितियों को दर्ज करने के लिए।
तथ्य और साक्ष्य जुटाने के लिए
ना ही करनी पड़ेगी खुदाई ।


इतिहासकार 
पुस्तकालय में जाकर 
उठा लेगा कविताओं की किताबें

जिसमें

वर्तमान के कवि ने
लिख दी 
अपनी भूख 
अपनी व्यथा
अपनी मुहब्बत 
अपनी संस्कृति 
अपनी रिवाज 

कविता 
अपने अंदर 
छुपाये रखती है 
वर्तमान कि तमाम परिस्थिति
जो 
भविष्य का इतिहास बनेगी।।

Saturday, January 30, 2021

किसान आंदोलन

वो किसानों को मारेंगे तुम चुप रहना क्योंकि तुम किसान नहीं हो ।
वो विद्यार्थी वर्ग को कुचलेंगे तुम चुप रहना क्योंकि तुम विद्यार्थी नहीं हो ।

वो नौकरीपेशा की जेब काट लेंगे तुम चुप रहना क्योंकि तुम तो नौकरी में नहीं , खुद का व्यवसाय करते हो ।

वो छोटे छोटे व्यापारियों को दबोचने का षड्यंत्र रचेगे तुम चुप रहना क्योंकी तुम इस श्रेणी के नहीं हो ।

एक दिन वो तुम्हे लूटने आयेगे तब तुम चाहकर भी आवाज नहीं उठा पाओगे क्योंकी तुमने पड़ोसी  पर होते अत्याचार को देखकर चुप्पी साध ली थी और तुम्हारी आवाज़ उठाने की ताकत को तुमने बहुत पहले ही खो दिया था ।

Monday, January 4, 2021

31दिसम्बर

अगस्त के महिने के
तीसरे गुरुवार की दोपहर
मूसलाधार बारिश में भीगता हुआ
वो मेरी दहलीज पर आया था ।
मुझसे विदा लेने ...
फिर आने का वादा करके।
इंतजार करना 
मैं लौटकर आऊंगा
दिसम्बर के अंतिम सप्ताह।

मैं,वो,मेरी धड़कन और बारिश
गवाह है हमारी अंतिम मुलाकात की ...
उसके वादें की.....
सदी के सोलहवें वर्ष, 
अगस्त के तीसरे गुरुवार की दोपहर ...
किया जो वादा उसने, मुझसे
 दिसम्बर के अंत में लौट आने का,
तब से इंतजार जारी है मेरा,
दिसम्बर के अंतिम सप्ताह का।

आज फिर उसका वादा झूठा निकला ।
मैं खड़ी हूं,
घर की छत पर,
इक्कीसवीं सदी के बीसवें वर्ष की
अंतिम संध्या को...
डूबता सूरज देख रही हूं
दिसम्बर की अंतिम तारीख का 

सूरज के साथ ही डूब रहा मेरा इंतजार
जो शुरू हुआ था
सदी के सोलहवें वर्ष की 
अगस्त के तीसरे गुरुवार को
जो चलता रहा 
सदी के बीसवें वर्ष के
दिसम्बर के अंतिम गुरुवार तक ।



प्रियंका चौधरी 

समझदार


तुम बहुत समझदार हो ...
हर परिस्थिति का सामना कर सकती हो ।
जब भी ,कोई ये कहता है ,
धीरे से 
मेरी प्रशंसा में ।
मुझे अंदाजा हो जाता है ,
कोई समझौता मेरी दहलीज पर आ गया है ।

इतिहास गवाह है ,
हर लड़की को
प्रशंसा करके ही पराजित किया जाता है ।

प्रियंका चौधरी 

4/10/2020

ह्रदय

बंजर धरती के 
सीने पर
अंकुरित होता है 
बेमौसम कोई बीज 

ठिक 
उसी तरह
तुम आना 
बिना उम्मीद
बिना संदेश 
बिना आहट के
मेरे हृदय की बंजर धरा पर
मुहब्बत का अंकुर खिलाने ।❤️

प्रियंका चौधरी
4/01/2021

इज्जत