Sunday, August 30, 2020

आंसू

तुम 
मुस्कुराहट के महल में
चुन कर रखना 
एक कोना 
रोने के लिए ...
आंसूओं को नहीं चाहिए 
महल की रंगीनियां
उसे चाहिए 
सिर्फ संवेदनशील ह्रदय


30/08/2020

जख्म

जाते वक्त तुमने 
कहा था ...
समय हैं ,हर ज़ख्म का मरहम 

भर देगा 
समय के साथ,हर ज़ख्म 

अफसोस 
तुम्हारी बात ग़लत निकली
भरे नहीं जाते 
समय के साथ 
कुछ ज़ख्म
जो किसी अपने ने दिये है ।

Wednesday, August 26, 2020

जीवन

जीवन की पहेली में 
तुम उलझते जाना 
तुम्हें अच्छा लगेगा ।

तुम कोशिश मत करना 
कहीं ठहरकर,
जीवन की पहेली को 
सुलझाने की.....

जीवन की उलझी पहेली को, 
सुलझाने में तुम्हें...
लग जायेंगे वर्ष

तुम जीवन की पहेली को 
सुलझाने के चक्कर में ।
उलझते जाओगे समय की पहेली में ।

प्रियंका चौधरी

26/08/2020

Saturday, August 22, 2020

मोहब्बत का सूरज

अतीत की धुंध में 
आज भी चमकता है
तेरी मुहब्बत का सूरज 
जो डूबा दिया था तुमने।
भरी दुपहरी
जून के किसी दिन।।
pic by Gurpreet Singh

Sunday, August 9, 2020

मां

मजदूर

मजदूर

गांव से शहर आया था,
काम की तलाश में।
शहर ने मुझे काम दिया ,
मैंने शहर को नया रूप दिया ।

मैं बन गया 
एक कारीगर
देने लगा शहर को,
बेहतरीन इमारतें।

शहर ने काम दिया,
काम के बदले पैसे दिये,
 अपनापन नहीं दिया 

हम गांव के मजदूर ,
समझ बैठे, शहर को अपना घर।

देने लगे, शहर को अपना मान,
बेहतरीन इमारतें ।

जब हमें पड़ी शहर में ,
जरूरत आशियाने की।

सारी इमारतों के दरवाजे बंद थे,
हाथ में बैग, कंधे पर बच्चे।
सड़क पर लावारिस हम थे।
                       -  🖊️प्रियंका चौधरी परलीका

प्यार स्वतंत्र है

प्यार स्वतंत्र है 
इसे स्वतंत्र ही रहने दो,
मत जकड़ो धर्म की बेड़ियों में 
मत कैद करो तुम 
जाति की दीवारों में
प्यार स्वतंत्र है।
इसे स्वतंत्र ही रहने दो
तोड़ देगा धर्म की बेड़ियों को 
मिटा देगा जाति की दीवारों को
प्यार स्वतंत्र हैं 
इसे स्वतंत्र ही रहने दो।।

प्रियंका चौधरी

life

इश्क

इश्क 

इश्क था मुझे 
तुम से ...
तुम्हें मुझ से l
हां ,इश्क था हमें l

तुम मुझे...
मैं तुम्हें...
चाहती थी l
मेरी चाहत तुम पर 
तुम्हारी मुहब्बत मुझ पर 
आकर ठहर जाती थी .

मुझे इश्क था तुम्हारी रूह से l
मैं चाहती थी रूह से रूह का मिलन l
तुम्हारा इश्क ,मेरे इश्क से जुदा था ...
तुम्हारे इश्क में छुपी थी वासना ...
जो मेरे समर्पण के आगे ठहर ना सकी ...
इस तरह ...
तुम्हारा इश्क 
मेरे इश्क से 
विदा हो गया ...

प्रियंका चौधरी परलीका
तहसील नोहर जिला हनुमानगढ़ राजस्थान

मैं जैसी हूं

#मैं_जैसी_हूं !

मैं जैसी हूं
वैसा ही मुझे रहने दो...
मैं वैसी ही हूं 
जैसा मैं चाहती हूं l

मुझे मुहब्बत हैं खुद से 
मुझे ऐसा ही रहने दो ..

करते हो तुम मुझ से गर मुहब्बत ,
स्वीकार करो मुझे इसी रूप में !
जिस रूप में मुझे मुहब्बत हैं खुद से ...

तुम चाहते हो ;मैं बदलूं 
तुम्हारे मुताबिक ...

बेशक तुम जा सकते हो दूर 
परहेज हैं मुझे ऐसी मुहब्बत से .....

जो छिन ले मुझ से मेरा अस्तित्व lll

@✒ प्रियंका चौधरी
परलीका

मेरी दुनिया

#मेरी_दुनिया 

जिस रोज 
मेरे पिता ने 
अग्नि को साक्षी मानकर 
सौंपा था ,मेरा हाथ 
तुम्हारे हाथों में ...
उसी रोज 
तुम्हें अपनाकर
मैं चली आई थी 
तुम्हारे संग 
जीने को 
तुम्हारी दुनिया में ....
तुम्हारा ख्वाब
मेरा ख्वाब 
तुम्हारी मुस्कान
मेरी मुस्कान ..
तुम्हारी दुनिया में 
भूल गई अपनी दुनिया 
हां...!
मेरी भी अपनी दुनिया थी .
जिसमें मेरे ख्वाब 
मेरी हसरतें थी .
मेरी अपनी पहचान थी .
तुम अपनी दुनिया में खुश थे .
मैं आपकी दुनिया में खुश थी l
महसूस किया आज मैंने
तुम मेरी मुहब्बत 
मेरे हमसफर हो .
तुमने हमसफर बनकर सिर्फ 
अपनी दुनिया का सफर करवाया ....
कभी ध्यान न दिया मेरी दुनिया की तरफ...
तुमने मुहब्बत की मुझसे बेइंतहा 
पर कभी जीवन मेरे हिस्से का जीने न दिया .
काश! तुम भी कुछ ख्वाब मेरे जी  लेते ..
जैसे मैंने जीया है तुम्हारा हर 
एक ख्वाब .....

                   प्रियंका चौधरी

सफर

सफर में चलते हुए .
जब भी थक कर बैठते हैं .
हो जाते है उदास 
सफर की मुश्किल से .
तब आता है याद 
वो हमसफर 
जो बीच रास्ते में जुदा हो गया हमसे .
बिना वजह के 
गिना कर खामियां हमारी .
जिन खामियों पर कभी नाज था हमें .
वो ही हमसफर की जुदाई का कारण बनीं .
पलभर की उदासी 
पलभर में .
जुनून बन जाती हैं .
याद आता है 
जुदाई का वो मौसम 
जब हम जुदा हुए
बिना कारण के .
झूठी खामियां बताकर.
बिना वजह के झगड. कर .
जुदा होते ही खाई थी कसम ..
सफर में अकेले चलकर 
उससे आगे निकलने की .

वो ही कसम 
आज जुनुन बनकर 
उदासी छीन ले गई मुझसे .

प्रियंका चौधरी
15/5/2018

चरित्रहिनता

चरित्रहिनता 

      वो
   चंचल, बेफ्रिक 
   शरारती मासुम 
   बच्ची 

हां; बोलती ज्यादा थी .
जोर से बोलना 
बात-बात पर 
खिलखिलाकर हंसना.
उसकी आदत में शुमार था 
बेफ्रिक जीवन जीना 
जोर -जोर से हंसना 
हर अदा में शरारती पन,

नहीं कर पाया ये समाज सहन
दे दिया; मासुम हाथों को 
चरित्रहीनता का  अवार्ड

संभाल ना पाया, उसका मासूम दिल 
ये उपहार 
हो गया लहूलूहान
जब पड़ा, पापा का थप्पड़ 
मासुम गाल पर 
तब निकल पड़े खून के आँसू 
उसकी आँखों से ...
जो उसे मिले थे ...
उसकी बेफ्रिक हंसी के बदले .

लड़की का हंसना भी
समाज में चरित्रहीनता है.

प्रियंका चौधरी
14/6/2018

प्यार में धोखा खाई लड़की ।

प्यार में धोखा खाई 
लड़की।
डरती है प्यार के नाम से ।
बिखर जाती है ,
टूट कर अरमानों के साथ ।
प्यार में धोखा खाई लड़की
डरती है प्यार से ।

वो भाग जाना चाहती है ।
उस दुनिया से ,
जहां पर प्यार का जिक्र ना हो ।

उसे लगता है 
दुनिया का हर मर्द,
धोखेबाज,झूठा ,बेवफा है ।

वो भूल जाती है,
अपना सपना,
अपनी मंजिल।

वो करती हैं याद,
वर्तमान की दहलीज पर बैठकर,
अपना अतीत 
और ,कर लेती है  भविष्य बर्बाद।

प्यार‌ में धोखा खाई लड़की ।
बन जाती है जिन्दा लाश ,
दुनिया से टूट चुका होता है उसका हर नाता ।
वो भाग जाना चाहती है ।
ऐसी दुनिया में ,
जहां प्यार का नाम ही न हो ।
उसे प्यार एक साज़िश लगता है ,
किसी की बर्बादी का ।

🖊 प्रियंका चौधरी

अस्तित्व

 तुम लड़ना 

अपने अस्तित्व के लिए

तुम प्रकृति को मानते हो 

अपना अस्तित्व

तुम अशिक्षित हो इस लिए

तुम करते हो प्रकृति की पूजा 

हम शिक्षित होकर

कर रहे हैं ,प्रकृति का दोहन 

अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए ।

जब तक तुम्हारा अस्तित्व हैं

तब तक ये जंगल आबाद रहेंगे ।

एक दिन

शहरी भेड़िया 

दौड़ते हुए ,

जंगल में 

घुस जायेगा ।


कर देगें 

तहस-नहस 

अपने स्वार्थ के लिए 

जंगल को ।


शहरी भेड़िया 

देखकर जंगल की सम्पदा

जल,जमीन ,खनिज

हो जायेगा हिंसक ।


करने लगेगा ,

प्रकृति का बलात्कार 

अपने स्वार्थ और एशो-आराम के लिए ।

शहरी भेड़िया

मचा देगा 

तुम्हारे शांत जंगल में 

आतंक ।

वो तहस नहस करेगा

तुम्हारा आशियाना

तुम्हारी नस्लें।


तुम उठा लेना

अपना हथियार 

खुद को‌,

प्रकृति को

तुम्हारी नस्लों को बचाने के लिए ।

तुम लड़ना 

प्रकृति ,अपने अस्तित्व के लिए ।


शहरी भेड़िया

हार कर भागेगा 

शहर की तरफ

वो अहंकार में अंधा 

स्वीकार कर नहीं पायेगा,

अस्तित्व और स्वार्थ में

अस्तित्व की जीत को ।

वो विचलित हो ,

तुम्हें जंगली ,असभ्य के साथ ,

कर देगा आतंकी घोषित ।



प्रियंका चौधरी परलीका

इज्जत