चरित्रहिनता
वो
चंचल, बेफ्रिक
शरारती मासुम
बच्ची
हां; बोलती ज्यादा थी .
जोर से बोलना
बात-बात पर
खिलखिलाकर हंसना.
उसकी आदत में शुमार था
बेफ्रिक जीवन जीना
जोर -जोर से हंसना
हर अदा में शरारती पन,
नहीं कर पाया ये समाज सहन
दे दिया; मासुम हाथों को
चरित्रहीनता का अवार्ड
संभाल ना पाया, उसका मासूम दिल
ये उपहार
हो गया लहूलूहान
जब पड़ा, पापा का थप्पड़
मासुम गाल पर
तब निकल पड़े खून के आँसू
उसकी आँखों से ...
जो उसे मिले थे ...
उसकी बेफ्रिक हंसी के बदले .
लड़की का हंसना भी
समाज में चरित्रहीनता है.
समाज में चरित्रहीनता है.
प्रियंका चौधरी
14/6/2018
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