Saturday, January 30, 2021

किसान आंदोलन

वो किसानों को मारेंगे तुम चुप रहना क्योंकि तुम किसान नहीं हो ।
वो विद्यार्थी वर्ग को कुचलेंगे तुम चुप रहना क्योंकि तुम विद्यार्थी नहीं हो ।

वो नौकरीपेशा की जेब काट लेंगे तुम चुप रहना क्योंकि तुम तो नौकरी में नहीं , खुद का व्यवसाय करते हो ।

वो छोटे छोटे व्यापारियों को दबोचने का षड्यंत्र रचेगे तुम चुप रहना क्योंकी तुम इस श्रेणी के नहीं हो ।

एक दिन वो तुम्हे लूटने आयेगे तब तुम चाहकर भी आवाज नहीं उठा पाओगे क्योंकी तुमने पड़ोसी  पर होते अत्याचार को देखकर चुप्पी साध ली थी और तुम्हारी आवाज़ उठाने की ताकत को तुमने बहुत पहले ही खो दिया था ।

Monday, January 4, 2021

31दिसम्बर

अगस्त के महिने के
तीसरे गुरुवार की दोपहर
मूसलाधार बारिश में भीगता हुआ
वो मेरी दहलीज पर आया था ।
मुझसे विदा लेने ...
फिर आने का वादा करके।
इंतजार करना 
मैं लौटकर आऊंगा
दिसम्बर के अंतिम सप्ताह।

मैं,वो,मेरी धड़कन और बारिश
गवाह है हमारी अंतिम मुलाकात की ...
उसके वादें की.....
सदी के सोलहवें वर्ष, 
अगस्त के तीसरे गुरुवार की दोपहर ...
किया जो वादा उसने, मुझसे
 दिसम्बर के अंत में लौट आने का,
तब से इंतजार जारी है मेरा,
दिसम्बर के अंतिम सप्ताह का।

आज फिर उसका वादा झूठा निकला ।
मैं खड़ी हूं,
घर की छत पर,
इक्कीसवीं सदी के बीसवें वर्ष की
अंतिम संध्या को...
डूबता सूरज देख रही हूं
दिसम्बर की अंतिम तारीख का 

सूरज के साथ ही डूब रहा मेरा इंतजार
जो शुरू हुआ था
सदी के सोलहवें वर्ष की 
अगस्त के तीसरे गुरुवार को
जो चलता रहा 
सदी के बीसवें वर्ष के
दिसम्बर के अंतिम गुरुवार तक ।



प्रियंका चौधरी 

समझदार


तुम बहुत समझदार हो ...
हर परिस्थिति का सामना कर सकती हो ।
जब भी ,कोई ये कहता है ,
धीरे से 
मेरी प्रशंसा में ।
मुझे अंदाजा हो जाता है ,
कोई समझौता मेरी दहलीज पर आ गया है ।

इतिहास गवाह है ,
हर लड़की को
प्रशंसा करके ही पराजित किया जाता है ।

प्रियंका चौधरी 

4/10/2020

ह्रदय

बंजर धरती के 
सीने पर
अंकुरित होता है 
बेमौसम कोई बीज 

ठिक 
उसी तरह
तुम आना 
बिना उम्मीद
बिना संदेश 
बिना आहट के
मेरे हृदय की बंजर धरा पर
मुहब्बत का अंकुर खिलाने ।❤️

प्रियंका चौधरी
4/01/2021

इज्जत