जिंदाबाद जिन्दगी
मेरा साहित्यिक संसार
Labels
आलेख
(5)
कविता
(33)
मेरा परिचय
(1)
Wednesday, August 25, 2021
इज्जत
मैं
जिन्दा हूं
ऐसे समाज में
जहां
औरत की ऊंची आवाज से ,
लग जाती है ,हर की इज्ज़त दांव पर ।
वहीं
मर्द
बक सकता है
चौराहे पर खड़ा होकर
मां , बहिन के नाम की गालियां ।
प्रियंका चौधरी परलीका
21/08/2021
1 comment:
विकास नैनवाल 'अंजान'
October 6, 2022 at 3:55 AM
सही कहा। विचारणीय पंक्तियाँ।
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
इज्जत
समझदार
⭕ तुम बहुत समझदार हो ... हर परिस्थिति का सामना कर सकती हो । जब भी ,कोई ये कहता है , धीरे से मेरी प्रशंसा में । मुझे अंदाजा हो जाता है , कोई...
बेटी
बेटी - कविता स्वर्ण या दलित नहीं होती, बेटी गरीब या अमीर नहीं होती। स्वर्ण और दलित अमीर और गरीब आदमी की सोच होती है जिससे इस समाज का निर...
सही कहा। विचारणीय पंक्तियाँ।
ReplyDelete