हिन्दी दिवस
दुनिया की भीड़ में
दूर से
मां के ललाट पर
चमकती बिंदी देखकर
हजारों में, मैं अपनी मां को
पहचान लेती हूं ।
ठीक उसी तरह
भाषाओं के प्रांगण में
शब्दों के जाल में
चन्द्र बिन्दु से शोभित
शब्दों को देखते ही
पहचान लेती हूं
ये मां , हिन्दी के बच्चे हैं ।
जिनसे मेरा खून का रिश्ता हैं।।
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