Wednesday, September 9, 2020

विश्व आत्महत्या निरोध दिवस 10सितम्बर 2020

इन दिनों स्कूली परीक्षाओं के परिणाम जारी हुए हैं । प्रतिस्पर्धा के दौर में विद्यार्थियों ने शत प्रतिशत तक अंक प्राप्त किये है ।विज्ञापन के इस दौर में हर तरफ सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के पोस्टर से ,शहर की सड़कें ,दिवारे ,बस स्टैंड आदि भरे पड़े हैं ।हमने किसी वस्तु विशेष। का प्रचार तो सुना था पर अब तो विद्यार्थियों के अंकों का प्रचार करके विद्यार्थी वर्ग का मानसिक और आर्थिक शोषण हो रहा है ।आज के समय की सबसे बड़ी विडंबना ये है कि हमें हर चीज टॉप चाहे ,चाहे वो हमारे कपड़े हो , जूते हो चाहे गाड़ी।इस आधुनिकता वो फैशन की इस चमक में हमें हमारे बच्चों का रिजल्ट भी टॉप चाहिए ।हमारी सबसे बड़ी भूल ये होती है कि जो सपने हमने देखे थे और पूरे नहीं हुए उन सपनों को अपने बच्चों पर थोप देते हैं और उनके मजबूर करते हैं ,अपने सपने पूरा करने की ।हमारी ये भूल ही बच्चों में तनाव, चिड़चिड़ापन पैदा करती है ।हम ये भूल जाते हैं कि हर इंसान का सपना अलग अलग होता है ।हम बच्चे थे तब सपने देखते थे वो सपने अपने थे तो अपने बच्चों को सपना देखने से क्यों रोक रहे हैं ।हमारी इसी भूल के कारण हम कई बार अपने बच्चों को खो भी देते हैं । हर रोज खबरों में सुनने को मिलता है कि परीक्षा परिणाम से निराश होकर बच्चे ने की आत्महत्या । आत्महत्या के बढ़ते इस ग्राफ से  समाज को बहुत बड़ा खतरा है । अभिभावकों को इस बात को समझना चाहिए कि हर इंसान के दिमाग का आईक्यू लेवल अलग अलग होता है और हर इंसान को प्रकृति ने अलग अलग हुनर दिये है ।कोई अच्छा खिलाडी है तो कोई अच्छा डाक्टर ,कोई अच्छा कलाकार है तो कोई अच्छा शिक्षक ।इस लिए हमें हमारे बच्चों की काबिलियत को पहचाना होगा ।

वर्तमान दौर की इस विकट परिस्थिति में लिखी मेरी कविता हर उस लड़के को समर्पित है जो परीक्षा परिणाम में असफल हुआ है या कम अंक के साथ उत्तीर्ण हुआ है ।



जिन्दगी के 
पथरीले रास्तों में
नहीं आयेगी ।
तुम्हारे काम
किताबों को पढ़कर 
हासिल की गई
शत प्रतिशत अंकों की डिग्री।

उस समय 
तुम्हारे काम आयेगा
पथरीले रास्तों में चलने का
तुम्हारा अनुभव
तुम्हारा हुनर
तुम्हारी ताकत
इसलिए,
महज कागज के टुकड़े से
निराश होकर
तुम मत त्याग देना
अपना जीवन
जो खड़ा इंतजार कर रहा है।
सुनहरे भविष्य की दहलीज पर।

कागज के टुकड़े से
निराश होकर
तुम भूल मत जाना
अपना हुनर
जो तुम्हें 
दिया है प्रकृति ने
तौहफे में
कुछ नया 
करने के लिए 

ये कागज का टुकड़ा 
जिसको देखकर 
तुम परेशान हो
निराश हो
ये कागज का टुकड़ा 
सिर्फ कागजी परीक्षा का परिणाम है 

तुम्हें उत्तीर्ण करनी है 
जीवन की असली परीक्षा 
जो किसी कागजी डिग्री की मोहताज नहीं 
इसके लिए 
तुम्हें तुम्हारे
हुनर को 
पहचानना होगा
निकलना होगा 
मंजिल की तलाश में
सफर पर 
अभी से 
आज से ।





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