Wednesday, September 2, 2020

वर्तमान समय में मिडिया

अर्थव्यवस्था गड़बड़ाई हुई है ,कोरोना वायरस दिनों दिन बढ़ता जा रहा है ,चीनी घुसपैठ जैसी तमाम प्राकृतिक और अप्राकृतिक आपदाओं व  समस्याओं का सामना कर रहा है इस समय हमारा देश । बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या बन कर खड़ी हुई है हमारे सामने ।युवा बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है । बेरोजगारी के चलते समाज में लूटपाट ,चोरी जैसी घटनाएं भी दिन प्रति दिन बढ़ रही है ‌।समाज में अपराध का आंकड़ा हर रोज बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है ।
युवाओं में बढ़ती नशा प्रवृत्ति  भी एक राष्ट्रीय समस्या है ।
पढ़ें लिखे युवा नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं ।भर्तीयों का इंतजार कर रहा है पर सरकार फार्म भरवाकर अभ्यर्थियों से फीस तो वसूल लेती है पर परीक्षा नहीं करा रही ,अगर परीक्षा करवा ली तो परिणाम नहीं घोषित कर रही ,अगर परिणाम घोषित कर दिया तो सफल अभ्यर्थियों को जोइनिंग नहीं दे रहे ।किसान और उसकी खेती पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं ।कहीं अतिवृष्टि से फसलों को नुकसान हो रहा है तो कहीं अनावृष्टि फसलों  को खत्म कररही है ।कहीं फसलें पाला,आंधी एवं टिड्डी के कारण नष्ट हो गई ।कोरोना वायरस तो काबू से बाहर होता जा रहा है ।ऐसी स्थिति में जहां पर ‌सरकार +विपक्ष (संसद) कार्यपालिका और न्यायपालिका सब कछुआ की चाल से काम कर रहे हैं तब जिम्मेदारी आती है राष्ट्र के चौथे स्तम्भ पत्रकारिता पर ।और मिडिया का वर्तमान समय का हाल आपको पता ही है उस पर लिखने पर भी शर्म आ रही है ।
ऐसे हालत में मिडिया को किसानों की हालत को जानने के लिए नरमे के खेतों में होना चाहिए ,कोरोना से लड़ते मरीजों के साथ हॉस्पिटल में होना चाहिए , बेरोजगार अपने रोजगार की लड़ाई लड़ते रहे हैं उनके बीचोबीच सड़क पर होना चाहिए । कर्मचारी वर्ग वेतन के लिए धरना दे रहे हैं उनके साथ होना चाहिए ।
पर वो है कहां ,मिडिया कहीं दिखाई क्यों नहीं दे रही ‌।मिडिया है किसी नेता की शादी की कवरेज कर रही है ,मिडिया पेश कर रही है कि अंबानी के घर की टाइलेट की लागत कितनी है पर मिडिया ये भूल रही है कि आपका काम अंबानी के घर की टाइलेट की किस्मत बताने का नहीं आपका काम है जो निम्न वर्ग के लोगों के लिए सरकार ने शौचालयों के निर्माण के लिए जो बजट दिया था क्या वो बजट ,उन तक पहुंचा या बीच में ही पचा लिया ।


आज के समय भारत को सच्चे,कर्मठ, ईमानदार पत्रकारों की जरूरत है ।

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