मां छाया है पेड़ की ।
जिसकी आगोश में बच्चे महफूज रहते हैं ।
पिता तना है ,
उसी पेड़ का ।
जिसकी छाया में बच्चे महफूज रहते हैं ।
मां का प्यार ,
छाया की शीतल में ,
बच्चे महसूस कर जाते हैं ।
पिता का प्यार ,
तने की कठोरता में ,
छुपा रह जाता है ।
मां रूपी छाया का अस्तित्व,
पिता रूपी तने में ,
छुपा रह जाता है ।
प्रियंका चौधरी
जिसकी आगोश में बच्चे महफूज रहते हैं ।
पिता तना है ,
उसी पेड़ का ।
जिसकी छाया में बच्चे महफूज रहते हैं ।
मां का प्यार ,
छाया की शीतल में ,
बच्चे महसूस कर जाते हैं ।
पिता का प्यार ,
तने की कठोरता में ,
छुपा रह जाता है ।
मां रूपी छाया का अस्तित्व,
पिता रूपी तने में ,
छुपा रह जाता है ।
प्रियंका चौधरी
'माँ' को समर्पित एक मर्मस्पर्शी कविता।
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत प्यारी कविता है ।
ReplyDeleteमैंने भी कुछ लिखा है।
माता - पिता के बिना ज़िंदगी अधूरी है ।
उनसे दूर जाके जाना वह कितने जरूरी है ।
बहुत ही प्यारी कविता है
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