Monday, July 20, 2020

माँ की छाया- कविता

मां छाया है पेड़ की ।
जिसकी आगोश में बच्चे महफूज रहते हैं ।
पिता तना है ,
उसी पेड़ का ।
जिसकी छाया में बच्चे महफूज रहते हैं ।
मां का प्यार ,
छाया की शीतल में ,
बच्चे महसूस कर जाते हैं ।
पिता का प्यार ,
तने की कठोरता में ,
छुपा रह जाता है ।
मां रूपी छाया का अस्तित्व,
पिता रूपी तने में ,
छुपा रह जाता  है ।

प्रियंका चौधरी

3 comments:

  1. 'माँ' को समर्पित एक मर्मस्पर्शी कविता।
    धन्यवाद

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  2. बहुत प्यारी कविता है ।
    मैंने भी कुछ लिखा है।

    माता - पिता के बिना ज़िंदगी अधूरी है ।
    उनसे दूर जाके जाना वह कितने जरूरी है ।


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  3. बहुत ही प्यारी कविता है

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