Thursday, July 30, 2020

टिड्डी प्रकोप से परेशान किसान

(राजस्थान का किसानवर्ग टिड्डियों‌ के प्रकोप से परेशान है और दूसरी तरफ राजस्थान की सरकार अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है। सरकार को किसान की चिंता नहीं उसके लिए सत्ता महत्वपूर्ण है। संवेदनशील लेखिका प्रियंका चौधरी ने किसान के दर्द को यहाँ व्यक्त किया है और वहीं शासन तथा प्रशासन के आचरण पर कटाक्ष भी। -गुरप्रीत सिंह)
     मानव सभ्यता का अस्तित्व तब तक कायम है जब तक किसान और कृषि का अस्तित्व हैं। जिस दिन किसान और कृषि विलुप्त हो जायेगी उस दिन मानव जाति का विनाश निश्चित हैं। उस दिन मानव की विज्ञान और उसके प्रयोग कुछ काम नहीं करेंगे। विज्ञान और प्रकृति एक दूसरे के समानांतर चलती है न कि पूरक। हम विज्ञान में बहुत कुछ हासिल करना चाहते हैं इस लिए प्रकृति को भुला रहे हैं। आज के समय हमारे देश में सबसे अधिक मानसिक और शारीरिक चुनौतियों का सामना किसान कर रहा है।
      सरकार को किसानों की याद सिर्फ चुनाव के समय आती है ।
भारत की 70 प्रतिशत आबादी गांव में निवास करती है तथा उनका मुख्य व्यवसाय कृषि कार्य है।
      जिस देश की जनसंख्या का सत्तर फीसदी हिस्सा कृषि पर अपना जीवनयापन कर रहे हैं उसी देश में कृषि को उधोग का दर्जा नहीं मिला,  इससे बड़ी विडंबना की बात क्या हो सकती है। 
     राजस्थान में पिछले दिनों से टिडी का भयंकर प्रकोप चल रहा है।किसान और उसका परिवार पूरी तरह से परेशान हैं। सुबह से शाम तक अपनी अपनी फसलों को बचाने की जुगत में लगा है।

        मैं हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील के गांव परलीका से हूँ।मेरा जिला अर्द्ध सिंचित क्षेत्र है। यहां की अधिकांश फसलें बारीश पर निर्भर है। इस बार बारीश कम होने की वजह से फसलें बहुत कम है।
हमारे गांव में और आसपास के गांवों में पिछले चार पांच दिनों से टिडियों ने अपना तांडव मचा रखा है।
गांव के हर परिवार का हर छोटा मोटा सदस्य हाथों में थाली लेकर अपनी फसल बचाने में लगा है। छोटे छोटे बच्चे, हाथों में थाली लेकर फसलों में भागते हुए दिखाई देते हैं तो लगता है। चारों तरफ से थाली और ढोल की आवाजें आ रही है, आसमान पर टिडियों ने अपना कब्जा कर रखा है।
पर अभी भी मेरे देश के किसान ने हार नहीं मानी, हमारा पेट भरने के लिए अपनी दूसरी पीढी तैयार कर रहा है।
    किसान वर्तमान समय में शारीरिक और मानसिक तनाव से गुजर रहा है। एक तो वो टिडियों को भगाने के लिए लगा हुआ है वहीं उसको फ्रिक लगी हुई है कि अगर फसल खराब हो गई तो उसके परिवार का क्या होगा।
      शासन और प्रशासन तो लगता है कुंभकर्ण की नींद में सोये हुए हैं। न तो किसानों के पास समय पर कीटनाशक पहुंच रहा और न ही कृषि विभाग के अधिकारी सही तरीके से सर्वे कर रहे हैं।
      प्रशासन को इस समय ईमानदारी से अपना कार्य करना चाहिए, अगर उनके पास प्राप्त संख्या में कीटनाशक वगैरह नही है तो भी हर पीडित किसान तक प्रशासन को पहुंचना चाहिए क्योंकी इससे किसानों को हिम्मत बढेगी और वो अकेला महसूस नहीं करेगी।

  शासन का जिक्र तो यहां करना ही नहीं चाहिए क्यों कि राजस्थान की राजनीति की उथल-पुथल आप सबके सामने है। और जनता द्वारा चुने गए, टिडी रूपी जनप्रतिनिधि, होटलों में बंद हैं और हमारे मुख्यमंत्री साहब अपनी सरकार रूपी फसल को टिडियों से बचाने में लगे हुए हैं। पर नेताओं को सोचना चाहिए की अगर हमने असली फसल को नहीं बचाया तो हमारा विनाश निश्चित हैं। मैं शासन और प्रशासन से इतना ही कहना चाहूंगी की अगर आपके पास टिडियों से लडने के लिए हथियार नहीं है तो अपने अंदर की संवेदनशीलता को भी आप हथियार बनाकर एक दूसरे को हौसला दे सकते हो ।

प्रियंका चौधरी परलीका
मरु परिक्रमा (हनुमानगढ़ और जयपुर से प्रकाशित समाचार पत्र)
प्रकाशन तिथि- 30.07.2020

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