Saturday, November 13, 2021
दौड़
समाज
दौड़ रहा है
विज्ञान कह रही है ।
समाज चल रहा है
समाजशास्त्र कह रहा है ।
मैं
कहती हूं
समाज ना तो दौड़ रहा है
ना ही चल रहा है ।
समाज अपंग हो चुका है
और रेंग रहा है ,
एक टांग के साहरे
जहां प्रेम की खातिर
अपने प्रेमी संग ,
जाने वाली लड़कियां
भागती हुई नजर आती है ।
प्रियंका चौधरी
14-11-2021
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